परिचय
► आप क्या सोचते हैं कि सुसमाचार प्रचार का कार्य अब नए नियम के समय से अलग है?
► आप क्या सोचते है कि आपके देश में सुसमाचार प्रचार उस समय जब पहले मिशनरी आये थे से अलग है?
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by Stephen Gibson
► आप क्या सोचते हैं कि सुसमाचार प्रचार का कार्य अब नए नियम के समय से अलग है?
► आप क्या सोचते है कि आपके देश में सुसमाचार प्रचार उस समय जब पहले मिशनरी आये थे से अलग है?
जॉन वाईक्लिफ इंग्लैंड में एक पादरी थे। वह 1324-1384 तक जीवित रहे। उस समय, बाइबल लोगों की भाषा में उपलब्ध नहीं थी। लोगों को इस बात पर निर्भर रहना पड़ता था कि रोमन कैथोलिक चर्च उन्हें क्या सिखाता है। अधिकांश लोग सुसमाचार को नहीं जानते थे। यहां तक कि कई कैथोलिक पादरी भी बाइबल को अच्छी तरह से नहीं जानते थे। पुजारी धार्मिक अनुष्ठान करते हुए और पैसे मांगते हुए देश की यात्रा करते थे। अधिकांश चर्चों को याजकों द्वारा नियंत्रित किया जाता था जो सुसमाचार का प्रचार नहीं करते थे। वाईक्लिफ और उनके सहायकों ने बाइबिल का अंग्रेजी में अनुवाद किया। मशीन द्वारा छपाई तब उपलब्ध नहीं थी, इसलिए उन्होंने पवित्रशास्त्र को हाथ से कॉपी किया। उन्होंने जोड़ियों में यात्रा इंजीलवादमांगते थे।
सुसमाचार प्रचार के तरीकों को समाज की स्थितियों के अनुकूल होना चाहिए। वाईक्लिफ और उनके सहायकों ने सुसमाचार प्रचार के मूल भाग को पूरा किया; वे बाइबल का संदेश लेकर सीधे लोगों तक गए।

जॉन वेस्ली 1703 से 1791 तक इंग्लैंड में जिये।[1] उस समय एंग्लिकन कलीसिया अमीरों की कलीसिया बन गयी थी। वे कर्मकांडी थे और स्पष्ट सुसमाचार नहीं सिखाते थे। देश के अधिकांश गरीब लोगें का कलीसियाओं में स्वागत नहीं किया गया था और वे सुसमाचार को नहीं जानते थे। वेस्ली एक एंग्लिकन पास्टर थे, लेकिन वे सुसमाचार को लोगों तक पहुँचाना चाहते थे। एक सुबह वह एक क्षेत्र में गए जहाँ पर कई कोयला खनिक अपने काम की राह पर गुजर रहें थे। उसने प्रचार किया, और कई लोग सुनने के लिए रुक गए। उसके बाद, लगभग हर रोज़अपने जीवन भर उन्होंने बाहर प्रचार किया। उनकी सेवकाई के द्वारा हजारों विश्वास में आये।
► आपके क्षेत्र में सुसमाचार सबसे पहले लाने के लिए किस मिशनरी को याद किया जाता है?
2003 में, एक व्यक्ति अपने परिवार के साथ लन्दन में यात्रा कर रहा था और विश्राम करने के लिए एक बाग़ में रूक गया। उसने बाग़ में एक पहाडी पर एक महिला को खड़े देखा। उसके पास एक बाइबल थी और वह बोल रहीं थी। वह क़रीब गया और उसे कुछ धार्मिकता के विषय में बात करते सुना। उसने देखा कि उसका एक मित्र पास में खड़ा था, इसलिए उसने मित्र से पूछा कि क्या हो रहा है। मित्र ने कहा, “हम एक ऐसे समूह का हिस्सा है जिसने वेसली के प्रचार की परंपरा को जारी रखा है। कभी-कभी, हम प्रचार करने के लिए किसी सार्वजनिक जगह पर जाते हैं।“ हालाँकि, उस आदमी ने देखा कि महिला एक एसी जगह पर खड़ी थी जहाँ कुछ लोग गुजर रहें थे, कई लोग उसे सुन नहीं सकते थे, और उसकी शैली बाहर के लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रभावी नहीं थी। वह परंपरा को जारी रखने की कोशिश कर रहीं थी, लेकिन वह सब कुछ खो चुकी थी जो मूल रूप से इस पद्धति को प्रभावी बनाती थी।
तरीकों को परिस्थितियों के अनुकूल होना चाहिए। कभी-कभी लोग यह मानते हैं कि प्रचार करने का केवल एक हीं तरीका है, और वे एक ऐसा तरीका जारी रखते हैं जो अब प्रभावी नहीं हैं। कभी-कभी लोग सोचते हैं कि एक तरीका जो किसी एक जगह प्रभावी था, वह हर जगह प्रभावी होगा, लेकिन यह सच नहीं हैं।
कई स्थानों पर कलीसिया ने घर-घर जाकर प्रचार किया है और उन लोगों के दरवाजे खटखटाए है जिनसे वे अभी तक नहीं मिले है। इस पद्धति के परिणामस्वरूप कई विश्वास में आये, लेकिन यह हर जगह प्रभावी नहीं होगा।
कुछ कलीसिया ने बसें खरीदीं और लोगों को कलीसिया में लाने का स्वागत किया। रविवार की सुबह, वे पूरे आस-पड़ोस में लोगों को इकट्ठा करने के लिए बस चलाते हैं। कई लोगो को ‘‘बस सेवकाई ’’ के माध्यम से उद्धार में लाया गया, लेकिन यह तरीका हर जगह काम नहीं करेगा।
कई कलीसियाओं ने रविवार को कलीसिया भवन में आने वाली भीड़ को सुसमाचार प्रचारित किया हैं। वे लोगों को वेदी पर घुटने टेकने के लिए आगे आने और उद्धार के लिए प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित करते हैं। हजारों लोगों को इस पद्धति के द्वारा परिवर्तित किया गया है, लेकिन बहुत से बचाए नहीं गए लोग कलीसिया में नहीं आते है। बहुत से लोग सुसमाचार को तब तक नहीं सुनेंगे जब तक कि कोई व्यक्ति इसे व्यक्तिगत रूप से बातचीत में उनके साथ साझा न करे।
प्रेरित पौलुस प्रचारक तरीकों को अपनाने का एक आदर्श था। वह यहूदी आराधनालय में बात कर सकता था क्योंकि वह एक योग्यता प्राप्त यहूदी रब्बी था, और उसने उन्हें समझाया कि यीशु मसीहा हैं। उसने उन स्थानों पर भी बात की, जहाँ लोग दार्शनिक विचारों को प्रस्तुत करने के लिए एकत्र हुआ करते थे। कभी कभी वह बाजारों में बोलता था। वह अक्सर, घरों में समूहों से बात करता था।
लोगों ने सुसमाचार के विषय में बातचीत शुरू करने के लिए कई अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल किया हैं। कुछ कलीसियाओं ने सर्वेक्षण प्रश्नों का उपयोग किया है। वे पूरे समुदाय में जाते है और इस तरह के प्रश्न पूछते है: ‘‘आपको क्या लगता है कि कलीसिया को समुदाय में क्या करना चाहिए? मसीह धर्म का सबसे महत्वपूर्ण विश्वास क्या हैं? आप कैसे समझाएंगे कि एक मसीही क्या है? एक व्यक्ति मसीही कैसे बनता है?’’ किसी व्यक्ति की राय को धैर्य से सुनने के बाद, एक मसीही पूछ सकता है, ‘‘क्या मैं कह सकता हूँ कि हम मानते है कि बाइबल एक मसीही के विषय में क्या कहती हैं?’’
कभी-कभी प्रचारक किसी सार्वजनिक स्थान पर एक ऐसी तस्वीर या चित्र बनाकर ध्यान आकर्षित करते हैं जो सुसमाचार को चित्रित करती हैं। अन्य लोग चॉक / खड़िया से चित्र बनाते हैं। कुछ प्रचारक तख़्ते पर रंगीन चित्र लगाते हैं क्योंकि वे एक कहानी बताते हैं।[1]
कुछ कलीसियाएं व्यावहारिक विषयों पर सेमीनार/चर्चासत्र की पेशकश करती हैं जो उनके समुदायों के लोगों को चाहिए। विषय विवाह, बच्चों कि परवरिश, व्यावसाहिक सिद्धांत, स्वास्थ्य या किसी प्रकार के काम का प्रशिक्षण हो सकते हैं। कलीसिया जब समाज के जरूरतों के लिए कार्य करती है तो वे कुछ अच्छा कर रहीं होती है। कलीसिया की ज़िम्मेदारी है कि दैनिक जीवन में बाइबल की सच्चाई को कैसे लागू किया जाए। हो सकता है कि सेमीनार सीधे सुसमाचार को प्रस्तुत ना करे, लेकिन यह बाइबल की सच्चाई सिखाते हैं और कलीसिया और अड़ोस-पड़ोस के बीच के संबंध को बढ़ाती हैं।
कुछ कलिसियाओं ने एक सार्वजनिक स्थान पर एक अस्थायी प्रार्थना केंद्र स्थापित किया है जहाँ से बहुत से लोग गुजर रहे होते हैं। वे एक पट्टिका लगाते हैं जो कहती है ‘‘प्रार्थना स्थल’’ और गुजर रहें लोगों के साथ प्रार्थना करने की पेशकश करते हैं। वे पूछते हैं, ‘‘क्या आपके पास कोई ज़रूरत है कि आप चाहते है जिसके लिए मैं प्रार्थना करू?’’ वे बहस नहीं करते हैं और ज़रूरतों के लिए चिंता दिखाते हैं। उनके पास अक्सर सुसमाचार बांटने का अवसर होता है।[2]
सुसमाचार पद्धति का सबसे मूल आवश्यक तत्व यह है कि सुसमाचार को उन लोगों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया जाना चाहिए जिन्हें इसे सुनने की आवश्यकता है। क्योंकि परमेश्वर अपने वचन को शक्ति देता है और पवित्र आत्मा सुनने वालों को कायल करता है, एक सुसमाचार प्रचार पद्धति के प्रभावी होने की संभावना होती है अगर यह स्पष्ट रूप से और सीधें सुसमाचार का संवाद करता है।
कलीसिया के लिए हर जगह और हर समय जो चुनौती है वो लोगों का ध्यान आकर्षित करने और पूरे समाज में सुसमाचार का संचार करने का तरीका खोजने की है।
► आपके शहर में कुछ वो तरीके क्या हैं जो कलीसियायें लोगों का ध्यान आकर्षित करती हैं? क्या वे तरीकें सुसमाचार का संचार करते हैं?
सुसमाचार का सबसे प्रभावी रूप तब है जब कोई व्यक्ति सीधे उस व्यक्ति को सुसमाचार समझाता हैं जो उसे जानता है और उस पर भरोसा करता हैं।
दोस्तों और परिचितों को गवाही देते समय एक मसीही को सबसे अधिक प्रभावी होना चाहिए क्योंकि उन्होंने उसके जीवन का उदाहरण देखा है। यदि उसका उदाहरण अच्छा है तो उनके द्वारा वे उसकी गवाही का सम्मान करने की अधिक संभावना हैं। एक मसीही के लिए अपना विश्वास दिखाना महत्वपूर्ण है ताकि लोगों को हमेशा पता चले कि वह एक मसीही है। उसे बाइबिल पढ़ते समय या प्रार्थना करते समय लोग देखे तो उसे शर्मिंदा नहीं होना चाहिए। जो लोग उसे जानते हैं उन्हें आश्चर्य नहीं होना चाहिए जब उन्हें पता चलता है कि वह एक मसीही है।
एक मसीही का सम्मान स्कूल या काम में उसके उदाहरण के लिए किया जा सकता है, यहां तक कि ऐसे लोग भी जो मसीही धर्म को पसंद नहीं करते हैं। यहां तक कि जो लोग उसे सताते हैं, वे भी उसके उदाहरण का सम्मान करेंगे यदि वह अपने कार्यों और व्यवहार में सुसंगत है। कुछ लोग उसके पास प्रार्थना और परामर्श के लिए आएंगे।
कुछ लोग सोचते हैं कि उन्हें गवाही देने से पहले किसी व्यक्ति को कुछ समय के लिए जानना चाहिए। वे परमेश्वर के विषय में किसी से बात करने से पहले मित्र बनने की कोशिश करते है। यह सच है कि एक व्यक्ति एक मित्र को सुनने की अधिक संभावाना हैं। परन्तु, किसी व्यक्ति में तुरंत चिंता और रूचि दिखाना संभव है। अगर हम यह नहीं सीखते हैं कि हम जिन लोगों से मिलते हैं, उनके साथ सुसमाचार कैसे बांटे तो हम प्रभावी होने के कई अवसरों को खो देगें। ‘‘खुले अवसरों’’ के विषय में पिछला एक पाठ सुसमाचार के लिए बातचीत शुरू करने के तरीके बताता है।
एक व्यक्ति ने कहा, "जब भी मैं किसी के साथ कुछ मिनटों के लिए अकेला होता हूँ तो मैं इसे परमेश्वर द्वारा आयोजित एक बैठक के रूप में उपयोग करता हूँ।" उसका मतलब था कि वह मानता है कि परमेश्वर उसे सुसमाचार के लिए उपयोग करने के लिए मुलाकातें कराता है।
आप सुसमाचार फैलाने के लिए कुछ कर सकते हैं जो कि प्रेरित पौलुस नहीं कर सका।
हमारे पास सुसमाचार फैलाने का एक तरीका है जो कई शताब्दियों तक कलीसिया में नहीं था, यत्रों के द्वारा जानकारी को कागज़ पर छापा जा सकता हैं।
► आपको क्या लगता है कि छपाई उपलब्ध होने से पहले सेवकाई के विषय में क्या अंतर होगा?
छपाई से पहले के समय में सेवकाई की कल्पना करने का प्रयास करें। किसी पुस्तक की प्रत्येक प्रति के लिए एक शिक्षित व्यक्ति को कई दिनों के काम की आवश्यकता होती है क्योंकि उसे हाथ से लिखना होता है। आप सोच सकते हैं कि किताबें अब महंगी हैं, लेकिन कल्पना करें कि एक किताब के लिए आपको दस दिनों के काम के लिए एक कुशल पेशेवर को किराए पर लेने के लिए उतनी ही कीमत चुकानी पड़ेगी।
लगभग किसी के पास भी पवित्रशास्त्र की अपनी प्रति नहीं थी। पास्टर के पास भी शायद पूरी बाइबल नहीं होती थी। कल्पना करें कि आपके पास घर पर बाइबल पढ़ने की संभावना नहीं होती।
पासवानों का प्रशिक्षण ज्यादातर बोलने के द्वारा होता था, और उन्हें वे क्या सुनते थे यह याद रखने के लिए कोशिश करनी पड़ती थी। अन्य स्थानों पर मुद्रित प्रशिक्षण भेजने का कोई तरीका नहीं था। छपाई के बिना, कुछ भी बड़ी मात्रा में लिखा और वितरित नहीं किया जा सकता था।
► वे क्या तरीके हैं जो छपाई द्वारा सुसमाचार के प्रसार में मदद करते हैं?
पर्चे छोटे मुद्रित लेख हैं, जो आमतौर पर सुसमाचार प्रस्तुत करते है। मसीही उन्हें ऐसे लोगों को दे सकते है, जिनके साथ उनका सामना होता है। उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर बड़ी संख्या में भी दिया जा सकता हैं। उन्हें उन स्थानों पर छोड़ा जा सकता हैं जहां लोग उन्हें पढ़ेंगे।
यदि किसी व्यक्ति ने अजनबियों को बहुत प्रचार नहीं किया है, तो पर्चे देना शुरू करने का एक अच्छा तरीका हैं।
पर्चा रंगीन होना चाहिए और उसे उसका एक दिलचस्प शीर्षक होना चाहिए। जब आप सड़क या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान पर लोगों को पर्चे बांटते हैं तो मुस्कान के साथ उनका अभिवादन करें। आप कह सकते है, ‘‘नमस्ते, क्या आपको इनमें से एक भी मिला है ?’’ यह उन्हें उत्सुक करता है यह देखने के लिए कि यह क्या है।
ऐसा लग सकता है कि ज्यादातर लोग उन पर्चों में दिलचस्पी नहीं रखते है जो आप उन्हें देते हैं। कई व्यक्ति उन्हे बिना पढे़ हीं फेंक सकते है। हालांकि, इसके अच्छे परिणाम भी है। कई लोग पर्चे पर के संदेश के कारण परिवर्तित हो गए हैं। आमतौर पर आप आपके द्वारा दिए गए पर्चे के परिणामो को नहीं जान पाएंगें।
[1]कभी-कभी लोग जीवन की कुछ व्यवहारिक ज़रूरतों के बारे में चिंतित होते हैं। वे पर्याप्त भोजन या पर्याप्त आश्रय या पर्याप्त चिकित्सा देखभाल से वंचित हैं। उन्हें लगता है कि यह ज़रूरतें उनकी आत्मिक ज़रूरत से अधिक जरूरी हैं। कलीसिया सुसमाचार को बाँटने के तरीके के रूप में व्यवहारिक ज़रूरतों का जवाब दे सकती है। संभावित समस्या यह है कि कलीसिया का ध्यान आत्मिक ज़रूरतों के बजाय सांसारिक ज़रूरतों पर केंद्रित हो जाएगा, ठीक वैसे ही जैसे बचाए न गए लोगों का केंद्रित होता है।
कलीसिया को व्यावहारिक आवश्यकताओं का जवाब देना चाहिए लेकिन कुछ अभ्यासों को बनाए रखना चाहिए जो आत्मिक प्राथमिकता पर ज़ोर देते है।
1. उन्हें समझाना चाहिए कि जब वे ज़रूरतें पूरी करते हैं, तो वे परमेश्वर के प्यार को साझा कर रहे हैं।
2. उन्हें कलीसिया से अलग एक संगठन बनने के बजाय, विश्वास का परिवार के रूप में एक साथ काम करना चाहिए।
3. उन्हें लोगों को कलीसिया में सहभागिता के लिए प्रतिबद्ध करना चाहिए जहां लोग एक दूसरे की चिंता करते हैं।
4. अनन्त जीवन और आशिष परमेश्वर को जानने के द्वारा आते हैं यह सिखाते हुए सुसमाचार बाँटना चाहिए।
कई संस्थाए ऐसे कार्यक्रमों की पेशकश करती हैं, जो भौतिक आवश्यकताओं का प्रतिउत्तर देते है। वे समुदाय की ज़रूरतों के लिए सेवा करती हैं जहां तक उनके संसाधन अनुमति देते हैं। उनका लक्ष्य सुसमाचार को साझा करने के अवसर पैदा करना है। वे सोचते हैं कि व्यावहारिक तरीकों से लोगों की मदद करने से मित्र बनेंगे और सुसमाचार के लिए ध्यान आकर्षित करेंगे। सूत्र है कार्यक्रम, फिर संबंध, फिर सुसमाचार।
सहायता के कार्यक्रमों के गलत होने के कई तरीके हैं। सहायता देने वाले/प्राप्तकर्ता संबंध को छोड़कर हो सकता है कि कोई और संबंध ना बने। कभी-कभी सुसमाचार दी जाने वाली चीज़ों से अलग लगता है, और लोग सुसमाचार में दिलचस्पी लिए बिना सहायता प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ तक कि कार्यक्रम में काम करने वाले लोग भी सहायता प्रदान करने में व्यस्त हो जाते हैं और सुसमाचार को साझा नहीं करते हैं।
सूत्र को पलटना चाहिए। कलीसिया को सभी के साथ अपने पहले संपर्क के रूप में सुसमाचार पर ज़ोर देना चाहिए।
जब एक कलीसिया संसार को सुसमाचार प्रस्तुत करती है, तो उन्हें कलीसिया में एक नए जीवन का विवरण शामिल करने के लिए वफ़ादार होना चाहिए। मुक्ति केवल एक निजी, व्यक्तिगत निर्णय नहीं हैं जो किसी व्यक्ति को एक अजीब, नए जीवन में अकेला छोड़ देता हैं। पापी आमतौर पर सुसमाचार को तब तक स्वीकार नहीं करेंगे जब तक कि वे उस विश्वास के समुदाय के प्रति आकर्षित न हों जो सुसमाचार प्रस्तुत करते हैं।
यीशु और प्रेरितों की सेवकाई में, हम देखते हैं कि सुसमाचार परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार है। यह संदेश है कि पापी को क्षमा किया जा सकता है और परमेश्वर के साथ रिश्ते बना सकता है। उसे पाप की शक्ति से छुड़ाया जाता है और एक नए सृष्टि बनाया जाता है। वह विश्वास के परिवार में प्रवेश करता है जहाँ उसके आत्मिक भाई और बहनें उसे प्रोत्साहित करते हैं और उसकी ज़रूरतों में उसकी मदद करते हैं।
कलीसिया को सुसमाचार प्रचार में अपने प्राथमिक उद्देश्य को देखना चाहिए। कलीसिया को लगातार उस पर काम करना चाहिए। सभी को पता होना चाहिए कि आत्माओं के उद्धार के लिए काम करना ही कलीसिया हैं। फिर, कलीसिया सही लोगों को आकर्षित करता है। यह उन लोगों को आकर्षित करता हैं जो सुसमाचार में रूचि रखते हैं। ये लोग कलीसिया के साथ रिश्ते में आते है, इसलिए सुसमाचार का सेवकाई एक संबंध बनाती है।
फिर, कलीसिया उन लोगों की सहायता करती है जो कलीसिया के साथ सम्बन्ध में हैं। हो सकता है कि उन सभी लोगों को अभी तक बचाया नहीं गया है, लेकिन वे रिश्ते में हैं और कलीसिया की सुसमाचार सेवकाई से आकर्षित होते हैं।
तो, उलटा सूत्र है सुसमाचार, फिर संबंध, फिर सहायता (कार्यक्रम नहीं)। कलीसिया केवल सहायता के लिए कार्यक्रमों की पेशकश करने वाला संगठन नहीं होना चाहिए। इसके बजाय, कलीसिया लोगों का एक समूह है जो उन लोगों की मदद करता है जो उनके साथ संबंध में हैं। अगर वे कार्यक्रम शुरू करते हैं तो लोग बिना रिश्ते के कार्यक्रमों के लिए आएंगे।
भारत, युगांडा और अन्य स्थानों में सेवको पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने विश्वास में आए लोगों को धन, अकाल राहत, शैक्षिक लाभ और चिकित्सा सेवाएं प्रदान करके या उनके अुनसार अन्य प्रकार के प्रबंधों से ‘‘खरीदा’’ है।
(जे.हर्बर्ट केन, ‘‘द वर्क ऑफ एवेंजलिस्म’’)
(1) सुसमाचार के उन तरीकों का निरीक्षण करें जो आपके क्षेत्र में कलीसियाओं द्वारा उपयोग किए जा रहें हैं। क्या वे तरीके कलीसिया के बाहर लोगों का ध्यान आकर्षित करने में सफल होते है ? क्या वे सुसमाचार को स्पष्ट रूप से संवाद करते हैं ? अपनी निरीक्षणों पर 2-3 पृष्ठ लिखें।
(2) कम से कम 100 पर्चे वितरित करें। अपने अनुभव का वर्णन करने वाले कुछ वाक्यों को लिखें।
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